….वो लड़कियां


“पाँव ;फूल पर आ गया ,

क्योंकि वो ‘गिरा’ हुआ था. ……

पर ये ख़ुद तो नही गिरा होगा . ..

इसका सौन्दर्य ,इसका घाती.

तोड़ा…; पर सजाया नहीं इसे कहीं. …

मुरझाना-सूखना तो सहज था;

पर इस तरह,रौदा जाना ….. ,,…

किसी ने इसे रास्ते में गिरा दिया. ..,,,..

 

‘ठीक उन लड़कियों की तरह………………….’..,..”

 

चित्र साभार:गूगल

5 responses to this post.

  1. पर ये ख़ुद तो नही गिरा होगा . ..
    इसका सौन्दर्य ,इसका घाती.
    तोड़ा…; पर सजाया नहीं इसे कहीं.

    बहुत ही सुन्‍दर पंक्तियां ।

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  2. मार्मिक स्पर्श के साथ लिखी रचना…………जिसे पढ्कर महसूस किया जा साकता है!

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  3. गज़ब !

    एक अलग तरह की अभिनव कविता………..

    अभिनन्दन !

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