Archive for दिसम्बर, 2009

रूबरू वो हो तो

लाख सोचें ना हो वो रूबरू यारों,

सोच लेने के भरम में दुनिया यारों.


साथ देते रहे हर लम्हा मुस्काते हुए,

शाम हर रोज गिला करके सो जाती यारों.


मेरी हर साँस फासले कम करने में गयी,

हर सहर, मंजिलें अपनी खो जाती यारों.


जबसे जागा है, सुना है, लोगो को गाते हुए,

रूबरू वो हो तो आवाज खो जाती यारों.