मै…श्रीश प्रखर


पूरी दुनिया देखना चाहता हूँ, हर आमो-खास से बतियाना चाहता हूँ, दुनिया की हर माँ की ममता पाना चाहता हूँ, और पढ़ना चाहता हूँ दुनिया की हर भाषा में लिखी गयी क्लासिक्स को,…,…,,…,ऐसी ढेरों ख्वाहिशें संजोये हूँ,..हर लम्हे का हिस्सा बनकर हमेशा चंचल बने रहना चाहता हूँ…..इतना सरल बना रहूँ कि हर चटाई पर सो सकूं और हर थाली बाँट सकूं….मै आप सभी को खुश देखना चाहता हूँ…..इस ब्लॉग को बनाने के पीछे दो उद्देश्य था; एक तो मेरी पूरी कविताओं का संकलन हो जाए और दूसरे इस बहाने थोड़ा वर्डप्रेस भी चेक कर लें…….

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