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तेरा ना होना

 

“…..आज इक बार फिर तेरा ना

होना नागवार गुजरा है.

वीरानी शाम में आशिक हवाओं ने मुझे

बदनाम समझा है.

पुराने जख्म अब पककर,मलहम से हाथ चाहेंगे.

सनम आ जाए महफ़िल में ,दुआं दिन रात मांगेंगे.

अभी इक दर्द का लश्कर सीने के पर उतरा है….

 

कहूँ साजिश सितारों की या फिर बेदर्द वक़्त ही है.

सनम ने ख़ुद मेरे लिए जुदाई की तय सजा की है.

कशमकश हो गई बेदम,हवाओं पर आसमां का पहरा है……….”