Posts Tagged ‘चहल-पहल’

तुम मुस्कुरा रही हो; गंभीर

विस्तृत प्रांगण
तिरछी लम्बी पगडंडी
अभी बस हलकी चहल-पहल ,
विश्वविद्यालय में, दूर;
उस सिरे से आती तुम गंभीर,
किन्तु सौम्य, मद्धिम-मद्धिम
तुम में एक मीठा तनाव है, शायद,

हर एक-एक कदम पर जैसे
सुलझा रही हो, एक-एक प्रश्न.

तुम्हे पता हो, जैसे चंचल रहस्य.

तुम्हें ‘पहचान’ नहीं सका था, मै,
क्योंकि; देखा ही पहली बार तुम्हें ‘इसतरह’
वजह जो थी पहली बार तुम मेरे लिए…
अब नहीं लिख सकता उस महसूसे को ,,,
क्योंकि सारे शब्द बासी हैं,,
उनका प्रयोग पहले ही कर लिया गया है,

अन्यत्र…
अनगिन लोगों के द्वारा……

चित्र साभार: गूगल