तेरा ना होना

 

“…..आज इक बार फिर तेरा ना

होना नागवार गुजरा है.

वीरानी शाम में आशिक हवाओं ने मुझे

बदनाम समझा है.

पुराने जख्म अब पककर,मलहम से हाथ चाहेंगे.

सनम आ जाए महफ़िल में ,दुआं दिन रात मांगेंगे.

अभी इक दर्द का लश्कर सीने के पर उतरा है….

 

कहूँ साजिश सितारों की या फिर बेदर्द वक़्त ही है.

सनम ने ख़ुद मेरे लिए जुदाई की तय सजा की है.

कशमकश हो गई बेदम,हवाओं पर आसमां का पहरा है……….”

 

8 responses to this post.

  1. आज इक बार फिर तेरा ना
    होना नागवार गुजरा है.
    वीरानी शाम में आशिक हवाओं ने मुझे
    बदनाम समझा है.

    ! wah…… bahut sunder,……

    प्रतिक्रिया

  2. बेहद उम्दा रचना। दिल को छु गयी आपकी ये रचना।

    प्रतिक्रिया

  3. कशमकश हो गई बेदम,हवाओं पर आसमां का पहरा है……….”

    बहुत जबरदस्त भाई…आनन्द आ गया पढ़कर.

    प्रतिक्रिया

  4. कभी अगर वो न मिले दिल में जिसकी चाह।
    छिन जातीं खुशियाँ सभी जीवन लगे अथाह।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    http://www.manoramsuman.blogspot.com

    प्रतिक्रिया

  5. @ कशमकश हो गई बेदम,हवाओं पर आसमां का पहरा है
    उदासी छू गई।
    इतनी क्यों है?

    रात देर तक लेटे रहे छत पर
    जाना कि इन साँसों पर भी किसी का पहरा है ….

    प्रतिक्रिया

टिप्पणी करे